आज कल मै हुवा गुम सुम,
आज कल लगता हर पल गुम सुम,
न जाणे क्यू हुवा ऐसा,
जिंदगी का नशा इस तऱ्ह छाया,
पता नही होश मे हु या मदहोशी मे,
आज कल मै हुवा गुम सुम,
लगता सारा जहा हुवा गुम सुम,
न कोई होश न कोई खबर,
सब तरफ लगता धुवा धुवा,
होणे को ही है नया सवेरा,
इसीलिये शायद लग रहा गुम सुम.
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